तुम्हला रमेश शिप्पी च्या सिनेमाचा लोकप्रिय फिल्म शोले चा तो डायलॉग नक्कीच आठवत असेल,
जेव्हा सिनेमाचा नायक अमिताभ बच्चन (जय) आपला मित्र धर्मेंद्र (बीरू) साठी बसंती (हेमा मालिनी) चा का हाथ मांगण्यासाठी बंसती च्या मौसी च्या घरी जातो तो,,,,,
जेव्हा सिनेमाचा नायक अमिताभ बच्चन (जय) आपला मित्र धर्मेंद्र (बीरू) साठी बसंती (हेमा मालिनी) चा का हाथ मांगण्यासाठी बंसती च्या मौसी च्या घरी जातो तो,,,,,
आजकल तसाच संवाद सोशल मीडिया वर वायरल झाला आहे.
मात्र इथे बसंती च्या मौसी ला अमित शाह पीएम मोदी साठी मत द्या अस सांगत आहे…
या मजेदार संवादाचा तुम्ही देखील आंनद घ्या,,,
मात्र इथे बसंती च्या मौसी ला अमित शाह पीएम मोदी साठी मत द्या अस सांगत आहे…
या मजेदार संवादाचा तुम्ही देखील आंनद घ्या,,,
2019 साठी मौसी ला मोदीला वोट द्या हे सांगण्यासाठी अमित शाह पोहचले आहेत-
*मौसी* -: देखो बेटा पढ़ी लिखी सयानी हूँ, कोई स्मृति ईरानी तो हूँ नही। हां.. इतना तो पूछना ही पड़ेगा कि तुम्हारे नेता ने किया क्या है?
*अमित* -: करने का क्या है मौसी जी, एक बार फिर से PM बनेगा, देश की जिम्मेदारी सिर पे पड़ेगी तो कुछ करने भी लग जायेगा।
*मौसी* -: हाय दय्या! फिर मतलब ? पहले 5 साल में कुछु भी नहीं किया ?
*अमित* -: अरे अरे मौसी आप तो हमारे मोदी को गलत समझ रही है। 5 साल होते ही कितने है, गौ हत्या, जेएनयू, भारत माता, जाट-पटेल और दंगे-पंगे,,, अडानी अम्बानी की लूट में पता ही कहाँ चले।
*मौसी* -: हाय! इतना कुछ हुआ और वो कुछु बोला भी नाही।
*अमित* -: अब बोलने का क्या हैं मौसी! मन की बात तो बहुत बोली। मगर संघ के खिलाफ भला कैसे बोलते।
*मौसी* -: ओ हो हो! तो क्या संघी है?
*अमित* -: अरे अरे मौसी ,, वो और संघी,, न न ना। अब लड़कपन में किसे क्या पता होता है ,, क्या अच्छा क्या बुरा। किसी ने बहला फुसला के शाखा में भर्ती करा दिया, तो कर लिया बेचारे ने .. एक बार फिर से PM बन जाये तो संघ तो बस यूँ छूट जाएगा यूँ।
*मौसी* -: मुझ बुढ़िया को समझा रहे हो बेटा संघ-वंघ की लत किसी की छूटी है जो छूटेगी।
*अमित* -: अरे मौसी PM बनते ही दे दनादन विदेशों के दौरे शुरू हो जाएंगे। संघ तो भारत में ही छूट जाएगा न।
*मौसी* -: बस यही एक कमी रह गयी थी।
*अमित* -: मौसी जी! विदेश तो बड़े-बड़े खानदान के पढ़े-लिखे लोग ही जाते है।
*मौसी* -: एक बात तो माननी पड़ेगी लाख कमी हो तुम्हारे नेता में मगर तुम्हारे मुँह से तारीफ़ ही निकले हैं।
*अमित* -: अब क्या बताये मौसी हम भक्तो का तो दिमाग ही ऐसा हैं।
*मौसी* -: जाते जाते ये ही बताते जाओ बेटा तुम्हारा नेता पढा-लिखा कितना है?
*अमित* -: बस यूं समझिये मौसी जी, जैसे ही सही खबर मिलेगी, सबसे पहले आपको ही बतायेगे।तो मौसी जी आपका वोट पक्का समझूं????
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